“”मसीह जो हमारे लिए स्त्रापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के स्त्राप से छुड़ाया क्योकि लिखा है, जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह स्त्रापित है।” गलातियों 3:13 (एन.एल.टी)
इसके पहले कि मनमोहक, विदेशी प्लास्टिक के शंकुवृक्ष उत्पात मचाए, क्रिसमस की तैयारियां जो घर में होती उसमें हमेशा कसुआरिना नामक वृक्ष (क्रिसमस ट्री) सम्मिलित होता था । बढ़ते हुए, मैं उत्सुकता से क्रिसमस के सप्ताह की बाट जोहता रहता था, ताकि ‘कुछ दिनों के लिए’ रास्ते के हर एक मोड़ पर सजाई गई दुकानों में चीजों को निहार सकूं ।
हम जब मोल-भाव करते , तब जाकर एक बडा़, घना, फैला हुआ पेड़ ढूँढ पाते, और फिर उसी को खरीद कर घर ले आते । क्रिसमस का दिन आने के चंद दिनो पूर्व ही इसे लाया जाता था क्योंकि दक्षिणी भाग का शुष्क मौसम कुछ इस तरह का रहता था कि कुछ दिनो में उस देवदार वृक्ष के पत्ते झडने लगते थे।
जब हम उस क्रिसमस वृक्ष को ऑटो रिक्क्षा में से नीचे उतार देते थे तो, हमारे पडोस के बड़े और बच्चे भी जमा होकर उस पेड़ का नजारा देखने के लिए ताक झाँक करते और एक बड़ी सी मुस्कान से विस्मीत होकर उसे देखा करते । जल्द ही, हमारे सभी साथी उस पेड़ को सजाने के लिए घर आते । फुग्गे फुलाने, टहनियों पर कपास चिपकाने और उस पर कार्डबोर्ड रखने , और कागज के गहने, रूक-रूक कर हमारी सजावट को सराहने लगते , ऐसे गुलजार शंकवृक्ष् का सलोना रूप देखते ही बनता था , और हम “क्रिसमस की गंध” का एहसास अनुभव करने लगते थे ।क्रिसमस वृक्ष” की वादग्रस्त परम्परा के बावजूद, कॅलवरी ही एक ऐसा वृक्ष है जिसका उद्देष्य और सुन्दरता बिना वादविवाद की बनी रहती है। उसकी सुन्दरता गहने लटकाने से नही बनती, परन्तु जो उस पर लटका हुआ है, उसके कारण होती है – यीशु, परमेश्वर का पत्रु । मसीह ने सारी मानवजाती के श्राप को अपने ऊपर ले लिया। हमारे पाप और असफलताओं को उस कलवरी के पेड़ पर ठोक दी है, और उसके श्रापित होने के कारण, अभी हम आशीषित है । वह हमारे लिए जन्मा था । वह हमारे लिए मर गया, और वह हमारे लिए वापस आनेवाला है । वह चाहता है कि हम सब उसके लिए जीए ।
प्रिय पिता, मेरी सहायता कर कि मैं क्रिसमस पेड़ और जगमगाहट से होनेवाली रोशनी से परे आपको देखूँ। कृपया मेरी सहायता करे कि मैं कलवरी की सुन्दरता पर ध्यान करूँ ।
– रिबकेा विजयन